विश्व बैंक के एक अध्ययन के आकलन के मुताबिक स्वच्छता की बदतर स्थिति के परिणामस्वरूप जीडीपी की 6.4 प्रतिशत की हानि हुई है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन ने अब परिणाम देना शुरू कर दिया है। उनके इस अभियान पर निश्चित रूप से हम लोग गौरवान्वित हो सकते हैं। देश के करीब-करीब सभी भागों में दो करोड़ से भी ज्यादा शौचालय बन चुके हैं। गरीबों और वंचितों के घर शौचालय बनवा कर प्रधानमंत्री ने उन्हें भी सम्मान के साथ जीने का अवसर उपलब्ध करा दिया है। 35 जिलों और एक लाख गांव अभी तक खुले में शौच जाने से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। पांच राज्य इस लक्ष्य को पाने के करीब पहुंच चुके हैं। निश्चित रूप से यह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है।
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत दो साल पहले महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री ने की थी। इस अभियान की सारी व्यवस्था शहरी इलाकों में शहरी विकास मंत्रालय और ग्रामीण इलाकों में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को सौंपी गई।
2.4 करोड़ शौचालय स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत तथा 15.04 लाख शौचालय मनरेगा के तहत देश भर के ग्रामीण इलाकों में बनाए गए। जब स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई थी उस वक्त ग्रामीण इलाकों में महज 42 प्रतिशत परिवारों के पास शौचलय थे जो अब बढ़कर 53.34 प्रतिशत हो गए हैं।
वास्तव में जब प्रधानमंत्री देश को गंदगी खासकर खुले में शौच से मुक्त करने के बारे में बात करते थे तब लोगों ने उन पर विश्वास नहीं किया था। आखिरकार हम लोगों के पास सुस्ती, अकर्मण्यता और निर्धारित समय सीमा का उल्लंघन करने की लंबी विरासत जो थी। लेकिन मोदी ने अपने अनवरत अभियान से उन पर विश्वास नहीं करने वालों को गलत साबित कर दिया।
उपयुक्त स्वच्छता के अभाव के कारण श्रमशक्ति और जीडीपी के रूप में कई प्रकार के नुकसान उठाने पड़ते हैं। बदतर स्वच्छता के परिणामस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था के लिए जीडीपी के 6.4 प्रतिशत की हानि हुई है।
अगर हर व्यक्ति शौच जाने के बाद और खाना खाने के पहले साबुन से हाथ साफ करने जैसे सामान्य स्वास्थ्यकर विद्या को अपने जीवन में अपना ले तो स्वास्थ्य की देखभाल पर होने वाला 1.27 लाख करोड़ रुपये का खर्च देश का बच जाएगा।
हाईलाइट
बदतर स्वच्छता के परिणामस्वरूप देश को जीडीपी का 6.4 प्रतिशत नुकसान उठाना पड़ता है
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